अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर कभी जापान पर हमला होता है तो अमरीका
तीसरा विश्व युद्ध लड़ेगा लेकिन अमरीका पर हमले की स्थिति में जापान को ऐसा
करने की ज़रूरत नहीं है.
ट्रंप ने ये बात फॉक्स बिज़नेस न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में कही है. राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप शुक्रवार को जापान में जी20 देशों के समूह की बैठक में शामिल होंगे.
वह जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे से भी मुलाक़ात करें.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य संधियों पर हो रहे ख़र्च को लेकर अक्सर अमरीकी सहयोगियों को आड़े हाथों लेते रहे हैं.
ब्लूमबर्ग में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्रंप चाहते हैं कि जापान और दक्षिण कोरिया 'कॉस्ट प्लस 50' फॉर्मूले पर काम करे जिसके तहत इन दोनों देशों को अमरीकी सैनिकों का पूरा खर्च उठाना चाहिए और इसके अतिरिक्त पचास फीसदी राशि अमरीका को देनी चाहिए.
ऐसे में जब ट्रंप से ये सवाल पूछा गया कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच किस तरह के द्विपक्षीय करार हो सकते हैं.
इस पर ट्रंप ने दोनों देशों के मध्य 1960 से चल रहे सैन्य करार पर अपनी राय रखी.
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक़, ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ के साथ इंटरव्यू में कहा है, "अगर जापान पर हमला हुआ तो हम तीसरा विश्व युद्ध लड़ेंगे. हम वहां जाएंगे. हम उनकी रक्षा करेंगे. और हम अपनी ज़िंदगियों और अपने धन के साथ लड़ेंगे. हम हर कीमत पर लड़ेंगे. लेकिन अगर हम पर हमला होता है तो जापान को हमारी मदद करने की बिलकुल भी ज़रूरत नहीं है. वे हम पर हो रहे हमले को किसी सोनी टीवी पर देख सकते हैं."
इसके साथ ही ट्रंप ने कहा, "दुनिया में लगभग हर देश अमरीका का
इस करार की सबसे अहम शर्त ये थी कि जापान अमरीका को अपनी ज़मीन पर सैन्य अड्डा बनाने की अनुमति देगा.
वहीं, इसके बदले में अमरीका को जापान पर हमला होने पर उसकी रक्षा करनी होगी.
संधि की शर्तों के तहत अमरीका ने जापान में अपना एक सैन्य अड्डा बनाया हुआ है जो योकोसूका बंदरगाह पर स्थित है. इस सैन्य बेड़े में 50 जहाज, 140 एयरक्राफ़्ट और 20 हज़ार जवान शामिल हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप का तर्क ये है कि दुनिया का लगभग हर देश इस तरह की संधियों में अमरीका का फायदा उठाता आया है और आने वाले समय में इन देशों को अपनी रक्षा करने के लिए बेहतर हथियार खरीदने चाहिए.
करार के तहत अमरीका ने जापान में अपने लगभग 28 हज़ार सैनिकों को तैनात किया है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, जापान सरकार अमरीकी सैनिकों के जापान में रहने के लिए सब्सिडी के रूप में एक राशि अदा करती है जो साल 2019 में 1.8 अरब डॉलर थी.
वहीं, विशेषज्ञ भी ये मानते हैं कि अगर अमरीका अपने सैनिकों को जापान से वापस बुलाकर अमरीका में रखे तो उन्हें इतने सैनिकों पर ज़्यादा खर्च करना पड़ेगा.
बहुत फायदा उठाता है. ये विश्वास करने लायक बात नहीं है."
हाल ही में ब्लूमबर्ग में छपी एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़, "ट्रंप ने निजी बातचीत में जापान-अमरीका के बीच करार से बाहर निकलने पर बात की थी क्योंकि उनकी नज़र में ये करार एक तरफ़ा करार है."
लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने किसी बड़े अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से पहले अपने सहयोगियों को लेकर इस तरह का बयान दिया हो.
इससे पहले 2018 के जून महीने में कनाडा में आयोजित जी सात देशों की बैठक में शामिल होने से पहले उन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को निशाने पर लिया था.
Comments
Post a Comment